IGNOU MPS-003 भारत: लोकतंत्र एवं विकास Q.8 HINDI MEDIUM
प्रश्न 8 – जेंडर और विकास के बीच संबंध पर एक टिप्पणी लिखिए।
अथवा
विकास में महिलाओं से जेंडर और विकास के आमूल परिवर्तन का विश्लेषण कीजिए ।
उत्तर – परिचय
सेक्स एक जैविक शब्दावली है जो स्त्री और पुरुष में जैविक भेद को प्रदर्शित करती है वही जेंडर शब्द स्त्री और पुरुष के बीच सामाजिक भेदभाव को प्रदर्शित करता है। जेंडर शब्द इस बात की ओर इशारा करता है कि जैविक भेद के अतिरिक्त जितने भी भेद दिखते हैं वे प्राकृतिक ना होकर समाज द्वारा निर्धारित किए गए हैं और इसी में यह बात भी सम्मिलित है कि अगर यह भेद बनाया हुआ है तो दूर भी किया जा सकता है ।
नारीवादी विचार
अन्न ओकले ने अपनी पुस्तक सेक्स, जेंडर एंड सोसाइटी 1972 में सेक्स को परिभाषित करते हुए कहा है कि, “सेक्स का तात्पर्य पुरुषों अथवा स्त्रियों के जैविक विभाजन से है.” यहां तक कि संसार में सभी जीवों को उनके जैविकीय आधार पर दो वर्गों, नर तथा मादा में बांटा गया है ।
महिला व विकास ( जेंडर एंड डेवलपमेंट)
महिला व विकास ( जेंडर एंड डेवलपमेंट) 1980 के दशक में डब्ल्यू आई डी दृष्टिकोण (WID) के विकल्प के रूप में आया है। महिलाओं के जीवन के सभी पक्षों का ध्यान करने वाला समग्र दृष्टिकोण है । यह पुरुष और महिला को अलग – अलग विशेष भूमिका देने वाले आधारों को चुनौती देता है। यह वस्तुओं के उत्पादन सहित महिलाओं को परिवार में और परिवार से बाहर योगदान देने को मान्यता प्रदान करता है ।
इस दृष्टिकोण की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
- यह परिवार के तथाकथित निजी क्षेत्र में प्रवेश कर परिवार में महिलाओं के उत्पीड़न पर विशेष ध्यान देता है ।
- यह महिलाओं की मुक्ति को बढ़ावा देने में राज्य द्वारा सामाजिक सेवाएँ प्रदान करने पर बल देता है ।
- यह विचारधारा अधिक प्रभावकारी राजनीतिक आवाज के लिए महिलाओं के संगठन की आवश्यकता पर जोर देता है।
- यह महिलाओं के वैधानिक पैतृक और भूमि कानूनों को मजबूत करने पर जोर देता है। यह समाज में पुरुष और महिलाओं के अव्यवस्थित अधिकार संबंधों की चर्चा करता है ।
- जीएडी में इस बात का पता लगाया जाता है कि महिलाओं की स्थिति में सुधारों के लिए महिला और पुरुषों के बीच संबंध तथा उन्हें पुरुषों की स्वीकृति और सहयोग के संदर्भ में उनका विश्लेषण करने की आवश्यकता है ।
- जीएडी दृष्टिकोण के अनुसार लिंग सम्बन्धी विषय सभी आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला वाद-विवाद का विषय है।
इसका उद्देश्य महिलाओं की दोनों व्यावहारिक लिंगीय आवश्यकताओं जैसे स्वास्थ्य की देखभाल, जल आपूर्ति, शिक्षा तथा श्रम बचाने वाली तकनीक को तथा लाभ की वृद्धि सुनिश्चित करने की और संरचनात्मकताओं को दूर करने में सहायक नीतिगत लिंगीय आवश्यकताओं को जानना है। महिलाओं की कार्यनीतियाँ आवश्यकताओं में भूमि स्वामित्व का अधिकार ऋण लेने की सुविधा तथा निर्णय निर्धारक संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी शामिल है । व्यावहारिक और नीतिगत लिंगीय आवश्यकताएँ परस्पर गहन रूप से संबंधित है क्योंकि एक से दूसरी का जन्म होता है तथा दूसरों को पूरी करना महत्वपूर्ण हो जाता है।
जी ए डी दृष्टिकोण महिलाओं को आर्थिक और विकास नीतियों में शामिल करना चाहता है । जब तक महिलाएँ विकास में पुरुषों की वास्तविक भागीदार वाली स्थिति में नहीं पहुंचती तब तक महिलाओं की आवश्यकताओं और संबंधित विषयों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
विकास की प्रक्रिया का प्रभाव समाज के सभी वर्गो पर एक समान नहीं होता। महिला और पुरुष के मामले में भी यह भिन्नता देखी जा सकती है लैंगिक विकास एक गत्यात्मक अवधारणा है। किसी भी समाज में जैसे-जैसे विकास होता है वहां की सामाजिक और जनांकिकीय संरचना में भी परिवर्तन होता रहता है। किसी भी समाज के सार्वभौमिक विकास के लिए लैंगिक विकास एक अनिवार्य शर्त हैं।
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